त्‍वरित टिप्‍पणी : केंद्र सरकार का ‘Self Goal’ अक्षय कुमार का जागरूकता वीडियो

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केंद्र सरकार ने मंगलवार को अभिनेता अक्षय कुमार का वीडियो रिलीज किया, जो कोरोना वायरस की जागरूकता से जुड़ा हुआ है। इस वीडियो में अक्षय कुमार अर्बन नौकरीपेशा नहीं बल्कि एक मजदूर या किसी फैक्‍टरी में काम करने वाले लग रहे हैं।

इस वीडियो में अक्षय कुमार फेंकु या पप्‍पू नहीं, बल्कि ग्रामीण बबलू बने हैं, जो अपने काम पर लौटने के लिए अपने कंधे पर झोला लटका चुका है। भले ही अभी तक बहुत सारे बबलू घरों तक न पहुंचे। भले ही कुछ अभी भी सोनू सूद को फोन लगाकर या मैसेज करके घर पहुंचाने की गुहार लगा रहे हैं।

लेकिन, केंद्र सरकार का बबलू काम पर निकलने के लिए कमर कस चुका है। वीडियो में जैसे ही बबलू घर से कंधे पर झोला लटकाकर निकलता है, तो पास के घर में रहने वाले सरपंच जी कहने लगते हैं, ‘अरे बबलू, लॉकडाउन खुलते ही टहलने निकल पड़े।’

कितनी अजीब बात है ना, गांव के सरपंच को सरकार के नियमों और कोरोना रोकथाम से संबंधित सावधानियों के बारे में जरा सी भी जानकारी नहीं। पर, गांव के बबलू को पूरी पूरी जानकारी है। कहीं ऐसा तो नहीं कि बबलू के गांव का सरपंच केंद्र सरकार की तरह अंधेरे में रहता है। एक और अजीब बात सरपंच के मुंह पर मास्‍क नहीं है, पर, बबलू के मुंह पर मास्‍क दिखाई देता है। इस बात से समझ आता है कि कोरोना वायरस केवल जनता या बबलू डबलू को हो सकता है, पर सरपंच या किसी अगुआ को नहीं।

बुद्ध‍िजीवी और केंद्र सरकार
इसके बाद एक अन्‍य बात पर बबलू सरपंच जी को समझता है, ‘पहले थोड़ा मोटा डर लगता था। फिर पता चला कि अगर मैंने पूरी सावधानी बरती तो यह बीमारी होने की संभावना कम है।’
बिलकुल, उपरोक्‍त संवाद सुनते ही मेरी आंखों के सामने बुद्ध‍िजीवी और केंद्र सरकार की छवि उभरकर आ जाती है। जैसे केंद्र सरकार को दो महीनों से अधिक का समय बर्बाद करने के बाद महसूस हुआ कि कोरोना वायरस से छिपकर नहीं, बल्कि सावधानी अपनाकर भी लड़ा जा सकता है। ऐसा करने से काम भी प्रभावित नहीं होगा और सुरक्षा की गारंटी भी काफी हद तक बनी रहेगी। ऐसे ही बबलू के गांव के सरपंच को भी देर से ही समझ आता है कि जेब में छिपाकर रखे हुए मास्‍क को पहनना चाहिए और काम पर निकलना चाहिए।

बबलू वीडियो में कहता, ‘और अगर किसी कारण मुझे यह बीमारी हो भी जाए, सरकार ने अस्‍पताल में हमारे इलाज के लिए पर्याप्‍त व्‍यवस्‍था कर रखी है। यह घबराने का वक्‍त नहीं, एक दूसरे का हौसला बढ़ाने का वक्‍त है।’

भारत को छोड़ि‍ए, अन्‍य किसी देश ने भी अभी तक दावा नहीं किया कि उसने कोरोना वायरस का पक्‍का पक्‍का तोड़ खोज लिया है। हालांकि, फाइजर ने कुछ अन्‍य कंपनियों के साथ मिलकर अक्‍टूबर 2020 तक इस बीमारी का तोड़ खोजने का दावा किया है। जब पूरा भारत लॉकडाउन में था, जब लोग एक दूसरे से मिल नहीं रहे थे, उस समय भी हर रोज कोरोना के हजारों केस सामने आ रहे थे और उन हजारों केसों को संभालने में भी सरकारी व्‍यवस्‍था कितनी चरमरा हुई थी। इस बात का अंदाजा गुजरात हाईकोर्ट की गुजरात सरकार को लगाई फटकार से सहज ही लगाया जा सकता है, जिसमें अदालत ने अस्‍पतालों की कालकोठरी से की थी।

आगे किस तरह की व्‍यवस्‍था होगी, इस बात का अंदाजा भी हम खूब लगा सकते हैं। ऐसा लगता है कि आने वाले समय में केवल उन व्‍यक्तियों को कोरोना की श्रेणी में रखा जा सकता है, जो गंभीर रूप से इसकी चपेट में होंगे। हर सर्दी खांसी और बुखार वाले को कोरोना कहकर बिस्‍तर पर नहीं डाला जाएगा।

ग्रामीण ही क्‍यों?
इस वीडियो में अक्षय कुमार शहरी भी बन सकते थे। पर, अक्षय कुमार ने ग्रामीण बनना ही क्‍यों चुना? दरअसल कहानी यूं है कि दो महीनों से अधिक समय गुजर जाने के बाद सरकार जब लॉकडाउन खोलने की ओर कदम बढ़ा रही थी। उसी समय सरकार की उदासीनता से परेशान होकर ग्रामीण प्रवासी मजदूरों ने शहरों से पैदल ही घर की ओर निकलना शुरू कर दिया था, जो अभी जारी है। ऐसे में लौटते हुए ग्रामीण प्रवासी मजदूर की वापसी कैसे करवाई जाए, सबसे बड़ा सवाल है? केंद्र सरकार किस मुंह से मजदूरों को कहे कि गलती होगी, हमने जल्‍दबाजी में लॉकडाउन कर दिया। ऐसा कहने से नाक नहीं कट जाएगी। पर, सरकार जानती है कि मजदूरों की वापसी फैक्‍टरियों को चलाने के लिए कितनी अनिवार्य है। भले ही प्रवासी मजदूर किसी गिनती में न आते हो। पर, देश की अर्थव्‍यवस्‍था का सबसे मजबूत पाया उनके कंधों पर टिका हुआ है। इन प्रवासी मजदूरों के बिना आत्‍मनिर्भर भारत प्रोजेक्‍ट भी अन्‍य प्रोजेक्‍टों की तरह केवल नारा बनकर रह जाएगा।

अक्षय कुमार की लोकप्रियता भुनाना
अक्षय कुमार की लोकप्रियता को भुनाना सरकार के लिए कोई नया काम नहीं है। इससे पहले भी चुनावों के दौरान नॉन पॉलि‍टिकल इंटरव्‍यू कहकर अक्षय कुमार की सफलता को भुनाया गया था। इस समय अक्षय कुमार सबसे अधिक पसंद किए जाने वाले सितारों में शामिल हैं, और अक्षय कुमार की अपील बड़ी है।अक्षय कुमार भले ही राजेश खन्‍ना के दामाद हों, पर, अक्षय कुमार ने अमिताभ बच्‍चन की डगर पकड़ ली है। सरकारों के खिलाफ कुछ नहीं बोलना, जितना हो सके सरकार के अभियानों का हिस्‍सा बनना है। जबकि जय बच्‍चन की तरह अक्षय कुमार की पत्‍नी ट्विंकल खन्‍ना मुखर रहती हैं। अक्षय कुमार विवादों से बचते हैं, पर ट्विंकल खन्‍ना अपने सोशल मीडिया खाते से सरकार पर हमला बोलने से भी चूकती नहीं हैं।