Movie Review: शाहिद कपूर और कियारा आडवाणी की कबीर सिंह

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वैसे तो कबीर सिंह दिल को छू लेने वाली प्रेम कहानी है, जिसका बेहद खूबसूरत खुशनुमा अंत आपको भावुक कर देगा। लेकिन, इस खूबसूरत अंत तक पहुंचने के लिए आपको एक युवा सर्जन कबीर सिंह की खुशनुमा और नर्क समान जिन्‍दगी में से होकर गुजरना पड़ेगा।

जहां पर कबीर सिंह का अजीब सा व्‍यवहार आपको थोड़ा सा परेशान कर सकता है क्‍योंकि प्‍यार में धोखा मिलने के बाद कबीर सिंह नशेड़ी, बदलिहाज, बेशर्म, सनकी और कामआतुर हो जाता है। ऐसे में कबीर सिंह ऐसी ऐसी हरकतें करता है, जो उन दर्शकों को शर्मशार कर सकती हैं, जो दिलवाले दुल्‍हनिया ले जाएंगे जैसी प्रेम कहानियां देखने के आदी हैं।

फिल्‍म की कहानी मेडिकल स्‍टूडेंट कबीर सिंह और प्रीति की है। प्रीति कबीर की जूनियर है। कबीर का प्रीति पर दिल आ जाता है। लेकिन, प्रीति के पिता उसकी शादी कबीर सिंह से करवाने को राजी नहीं होते और प्रीति की शादी किसी अन्‍य जगह करवा दी जाती है। इस बात से कबीर को जबरदस्‍त धक्‍का लगता है। कबीर के बुरे बर्ताव के कारण उसके पिता उसको घर से निकाल देते हैं। ऐसे में यदि कबीर सिंह के साथ कोई चट्टान की तरह खड़ा रहता है, तो वह उसका दोस्‍त शिवा। आगे की कहानी के लिए निर्देशक संदीप रेड्डी निर्देशित कबीर सिंह देखनी होगी।

तेलुगू फिल्‍म अर्जुन रेड्डी की रीमेक कबीर सिंह का निर्देशन संदीप रेड्डी ने बेहतरीन किया है। हालांकि, फिल्‍म को कसावट भरे संपादन की जरूरत लगती है। इस कहानी को और भी बेहतरीन तरीके से पेश किया जा सकता था और हिन्‍दी सिनेमा प्रेमियों को ध्‍यान में रखते हुए थोक के भाव डाले गए लिपलॉक सीन कम किए जा सकते थे।

शाहिद कपूर ऐसे किरदारों के लिए हमेशा से परफेक्‍ट माने जाते हैं। यहां भी शाहिद कपूर ने कमाल का अभिनय किया है। लेकिन, जिन लोगों ने अर्जुन रेड्डी देखी होगी, उनको शाहिद कपूर थोड़ा सा निराश कर सकते हैं। कियारा आडवाणी क्‍यूट एक्‍ट्रेस हैं। यहां पर उनकी क्‍यूटनेस का जमकर दोहन किया गया है। कियारा ने अपने किरदार को बहुत ही खूबसूरती के साथ अदा किया है। निकिता दत्‍ता ने अभिनेत्री जिया शर्मा का किरदार बड़ी ईमानदारी के साथ निभाया है।

निकिता दत्‍ता की कातिल अदाएं और खिलखिलाता चेहरा आकर्षित करने में सफल होता है। अर्जन बाजवा ने शाहिद कपूर के बड़े भाई का किरदार बाखूबी निभाया है। इस किरदार के बाद अर्जन बाजवा मोहनीश बहल का स्‍थान ले सकते हैं। कबीर के दोस्त शिवा के किरदार में सोहम मजूमदार प्रभावित करते हैं।

इसके अलावा कबीर सिंह का गीत संगीत और सिनेमेटोग्राफी औसत से बेहतर लगता है। संवाद और संपादन पर काम करने की जरूरत महसूस होती है। किंतु परंतु के बावजूद भी फिल्‍म कबीर सिंह युवा पीढ़ी को सिनेमा हॉल तक खींचकर लेकर आएगी। हालांकि, उन दर्शकों को निराशा महसूस हो सकती है, जो राजश्री बैनर या सामान्‍य पारिवारिक फिल्‍में देखने के शौकीन हैं।

चलते चलते – फिल्‍म कबीर सिंह – प्‍यार में धोखा खाए व्‍यक्ति की मनोवृत्ति को दर्शाने की कोशिश, एक स्त्री के धैर्य और हिम्‍मत की खूबसूरत दास्‍तां और दोस्‍ती का खूबसूरत चित्रण।

कुलवंत हैप्‍पी

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