जब संजीव श्रीवास्तव ने कारोबार की डगमगाती नाव छोड़, पकड़ी अभिनय की डगर

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नियति को समझना इंसान के बस में नहीं है। इंसान अपना काम करता है, और नियति अपना। इसका जीता जागता खूबसूरत उदाहरण अभिनेता संजीव श्रीवास्तव हैं, जो कारोबार की दुनिया से​ निकलकर अभिनय की दुनिया में आए, और यहां के होकर रह गए।

दरअसल, संजीव श्रीवास्तव कुछ साल पहले तक दिल्ली में बिजनेस कर रहे थे। अचानक मुम्बई आने का मन बना और यहां अभिनय की दुनिया में सक्रिय हो गए। वैसे तो फिल्म जगत में काम मिलना मुश्किल है, लेकिन, नियति के आगे सब कुछ ध्वस्त हो जाता है।

हाल ही में छोटे पर्दे के लोकप्रिय पुलिस अधिकारी संजीव श्रीवास्तव से फिल्मी कैफे की विशेष मुलाकात हुई, और इस मुलाकात में उनके फिल्मी सफर को करीब से जानने की कोशिश की।

सवाल : फिल्म और टे​लीविजन जगत में किस तरह आना हुआ ?
जवाब: अभिनय का शौक को बचपन से ही था क्योंकि हमारे एक परिचित को हमने टेलीविजन में काम करते हुए देखा। लेकिन, जब साल 2010 के आस पास मेरे बढ़िया चल रहे कारोबार में गिरावट आनी शुरू हुई तो मैंने अपने बचपन के शौक को विस्तार देने पर विचार किया। और मुम्बई चला आया। यहां पर आकर मशहूर अभिनय शिक्षिका आशा चंद्रा, जो बॉलीवुड के बड़े बड़े अभिनेताओं को प्रशिक्षित कर चुकी हैं, के इंस्टीट्यूट में अभिनय की बारीकियां सीखी।

सवाल : पहला ब्रेक किस तरह मिला ?
जवाब: साल 2011 में एक्टिंग कोर्स के दौरान में एक दोस्त से मिलने फुलवा सीरियल के शूटिंग स्थल पर गया। वहां पर मेरी मुलाकात कास्टिंग डायरेक्टर राज से हुई। राज ने मुझे एक छोटा सा किरदार आॅफर किया, जो पुलिस इंस्पेक्टर अधिकारी का था। मेरी शुरूआत ही पुलिस इंस्पेक्टर के किरदार से हुई। और दिलचस्प बात तो यह है कि मैं अब तक कुमकुम भाग्य, यह रिश्ता क्या कहलाता है, सावधान इंडिया, क्राइम पैट्रोल के अलावा भी कई दर्जनों सीरियलों में पुलिस इंस्पेक्टर का किरदार निभा चुका हूं।

सवाल : दूसरे ब्रेक के लिए संघर्ष करना पड़ा या नहीं ?
जवाब: जब आप एक बार काम लेते हैं, तो लोगों को दिखाने लायक कुछ हो जाता है। दूसरा दर्शकों की प्रतिक्रिया आपका हौसला बढ़ाती है। इसलिए मुझे दूसरा ब्रेक मिलने में अधिक संघर्ष नहीं करना पड़ा। मुझे दूसरी बार अभिनय करने का मौका रश्मि शर्मा प्रोडक्शन्स के धारावाहिक साथ निभाना साथिया में मिला।  इसके बाद अफसर बिटिया में पीए की भूमिका निभायी। पवित्र रिश्ता में डॉक्टर की भूमिका निभायी। और कारवां चल निकला।

सवाल : सीरियलों के बाद फिल्मों में किस तरह आना हुआ ?
जवाब: मेरा ड्रीम तो फिल्मों में काम करना ही था। टेलीविजन मेरा लक्ष्य नहीं था। फिल्मों में कदम रखने के लिए इधर उधर कोशिश कर रहा था। इस दौरान फैज अनवर के प्रोडक्शन हाउस में कार्यरत मेरे परिचित बुनियाद जी के कारण मुझे लव के फंडे फिल्म मिली, जिसमें मैंने गे की भूमिका अदा की। उसके बाद अपने अपने फंडे और निडर की। हाल ही में मैंने सनी लिओनी के साथ लव बेईमान की। इस फिल्म में मैं सनी लिओनी का पीए बना था।

सवाल : क्या सीरियलों की तुलना में फिल्मों में अधिक संघर्ष है ?
जवाब: बिलकुल, फिल्मों में सीरियलों से ज्यादा संघर्ष करना पड़ता है। सीरियलों में आज काम मिला, कल टेलीविजन पर आ जाएगा। फिल्मों में ऐसा नहीं होता है, जहां कई बार आपका काम दिखाई नहीं पड़ता क्योंकि कई बार आप से फिल्मों में काम करवा लिया जाता है। लेकिन, फिल्म संपादन में आपके सीन उड़ा दिए जाते हैं। कुछ फिल्में रिलीज नहीं हो पाती हैं। मैंने अब तक बारह फिल्में की। लेकिन, उस समय में बहुत कम फिल्में रिलीज हो सकीं।

​सवाल : आने वाले दिनों में कौन सी फिल्मों में नजर आएंगे ?
जवाब: इनदिनों मैं दुर्गेश पाठक की ​लकीरें कर रहा हूं। इस फिल्म की शूटिंग लखनउ शहर में चल रही है। इस फिल्म में आशुतोष राणा और ​ऋतुपर्णा सेन अहम भूमिका में नजर आएंगे। इसके अलावा, हाल ही में मैंने बबलू बैंचुलर की शूटिंग पूरी की है। इस फिल्म में अभिनेता शरमन जोशी लीड भूमिका में हैं। इसके अलावा मेरी एक अन्य फिल्म मुम्बई ड्रीम नामक फिल्म भी रिलीज होने वाली है।

सवाल : फिल्म बबलू बैंचुलर में आपका किरदार किस तरह का है ?
जवाब: फिल्म बबलू बैंचुलर में मेरा किरदार थोड़ा सा अलग है। इस फिल्म में मैं एक पिता की भूमिका अदा रहा हूं। शरमन जोशी जिस लड़की को देखने आते हैं, मैं उसका पिता हूं। इस दौरान काफी कुछ रोचक घटित होता है, जो बताना ठीक नहीं होगा। लेकिन, ​विश्वास के साथ कह सकता हूं कि दर्शक इस किरदार को याद रखेंगे।

सवाल : सुना है कि फिल्म निर्माण में कदम रखने जा रहे हैं ?
जवाब: बिलकुल, मैं कुछ दोस्तों के साथ मिलकर फिल्म निर्माण क्षेत्र में कदम रखने जा रहा हूं। दरअसल, हमारे पास कुछ खूबसूरत कहानियां हैं, जिनको पर्दे पर उतारा जा सकता है। खुद की फिल्मों में अभिनय जरूर करूंगा। हां, इतना विश्वास दिलाता हूं कि खुद को अहमियत देने या प्रचारित करने के लिए केवल फिल्मों का निर्माण नहीं करूंगा।

कुलवंत हैप्पी