विद्या बालन – हो सकता है कि मैं अपराधबोध महसूस करती हूं क्योंकि..

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कहानी 2 अभिनेत्री विद्या बालन के विवाह को आगामी बुधवार को चार साल हो जाएंगे और अगले महीने विद्या बालन का जन्‍मदिवस है। ऐसे में विद्या बालन की पेशेवर जिंदगी और घरेलू जिंदगी के बारे में जानने के लिए समाचार एजेंसी आईएएनएस प्रतिनिधि दुर्गा चक्रवर्ती ने विद्या बालन से विशेष बातचीत की, जिसमें मुख्‍य अंश आगे दिए हैं।

जब विद्या बालन से पूछा गया कि वह घर और काम के बीच तालमेल की बाजीगरी कैसे करती हैं, तो समाचार एजेंसी आईएएनएस से कहा, “मैं कोई बाजीगरी नहीं करती हूं। मैं कोई सुपरवुमेन की तरह नहीं बनना चाहती हूं। मैं एक महिला हूं जो काम करती है। जब मैं घर पर होती हूं तो मैं केवल घर पर ध्यान देती हूं। जब मैं मस्ती करती हूं तो केवल मस्ती करती हूं। कभी-कभी मेरा कुछ भी करने का मन नहीं करता है तो मैं कुछ भी नहीं करती हूं।”

अभिनेत्री ने कहा, “इसलिए मुझे लगता है कि संतुलन की यह बात बढ़ा चढ़ाकर की जाने वाली बात है क्योंकि महिलाओं से हमेशा ही घर और काम के बीच संतुलन के लिए कहा जाता है, जो नाइंसाफी है।”

उनसे जब पूछा गया कि जब वह घर से दूर होती हैं, और किसी विशेष दिन पर पति और परिवार के साथ नहीं होती हैं, तो क्या उन्हें पछतावा होता है? इस पर विद्या बालन ने कहा, “हो सकता है कि मैं अपराधबोध महसूस करती हूं क्योंकि मैं एक लड़की हूं। शायद पुरुष काम करने के दौरान विशेष अवसरों पर शामिल न होने पर इस तरीके से महसूस नहीं करते हैं। उनके बारे में मान लिया जाता है कि वे काम कर रहे होंगे, इसलिए खास मौके पर नहीं पहुंचे या भूल गए।”

आगे अभिनेत्री ने कहा, “हम महिलाएं महसूस करती हैं कि हमें काम के साथ ही विशेष अवसरों पर भी मौजूद रहना है। लेकिन, मुझे लगता है कि यह अवास्तविक उम्मीदें अब धीरे-धीरे दूर हो रही हैं।”

क्या जन्मदिन पर वह काम करेंगी या जन्मदिन मनाएंगी, इस पर विद्या बालन कहती हैं, “नहीं, यह चीजें मेरे लिए बहुत पवित्र हैं। मैं अपने जन्मदिन, शादी की सालगिरह और नए साल पर अपने घर पर ही रहूंगी। ये पवित्र हैं।”

विद्या से जब पूछा गया कि क्या वह महिला केंद्रित विषयों से खुद को जोड़े जाते रहने से थक गई हैं तो उन्होंने कहा, “ऐसा नहीं है क्योंकि मैं जो काम कर रही हूं उसका आनंद उठा रही हूं। लोग मुझसे कहते हैं कि इन्हें महिला प्रधान फिल्में क्यूं कहना, आप इन्हें केवल फिल्म क्यूं नहीं कह सकते हैं, तो मैं कहती हूं कि क्योंकि अभी तक के सालों और दशकों में केवल पुरुषों को ही केंद्र में रखा गया है। यह परिवर्तन है।”