Movie Review! अपनी ही लीक से हटे आदित्‍य, हल्‍की फुल्‍की पॉर्न बेफिक्रे

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यशराज फिल्‍म्‍स हो या आदित्‍य चोपड़ा दोनों ही बेहतरीन पारिवारिक और रोमांटिक फिल्‍मों के लिए जाने जाते हैं। लेकिन, क्‍या फिल्‍म बेफिक्रे में भी दर्शकों को कुछ ऐसा देखने को मिलेगा? तो हमारा जवाब “बिलकुल नहीं” है। इस बार आदित्‍य चोपड़ा का प्रयोग बेहद घटिया है।

बेफिक्रे को बॉक्‍स ऑफिस पर बेहतरीन कमाई करने वाली फिल्‍म के रूप में याद किया जाएगा या नहीं, इस बारे में कुछ भी कहना जल्‍दबाजी होगी। लेकिन, इतना जरूर कह सकते हैं कि बेफिक्रे देखने के बाद दर्शक इतना तो याद रखेंगें कि पाक मुहब्‍बत और पारिवारिक फिल्‍में बनाने वाला फिल्‍मकार आदित्‍य चोपड़ा ऐसी फिल्‍म भी बना सकता है। इस बार आदित्‍य चोपड़ा ने लीक से हटकर काम किया है। दरअसल, यशराज फिल्‍म्‍स की ही लीक है, जो कई दशकों से यशराज फिल्‍म्‍स फॉलो करता आ रहा था।

कहानी के नाम पर कुछ नहीं। लिव इन रिलेशनशिप, जो शर्तों पर शुरू हुई थी। अचानक टूट जाती है। धरम और शायरा को प्रेम में कोई दिलचस्‍प नहीं। बस जवानी के मजे लूटने में यकीन है। खुद को हवस का पुजारी कहने वाला धरम अचानक गंभीर हो जाता है। जो पर्दे पर गंभीर होता दिखेगा, महसूस नहीं होगा। दरअसल, कहानी का निचोड़ कॉकटेल वाला ही है। कितना भी दिलफेक आदमी हो, बिस्‍तर तो बहुत सारी लड़कियों के साथ गरम करना चाहेगा। लेकिन, रहना किसी एक के साथ चाहेगा, जो उनके मन में उतरी हो।

रणवीर सिंह को बेफिक्रे में अपने भीतर के बंदे को बाहर लाने का पूरा पूरा अवसर मिला। रणवीर सिंह ने अवसर पर पूरा पूरा फायदा उठाया है। हालांकि, वाणी कपूर कुछ सीनों में कमजोर पड़ती नजर आती हैं। लेकिन, उनका अभिनय भी अच्‍छा कह सकते हैं। फिल्‍म का संगीत बेहतरीन है। यदि इस फिल्‍म को हल्‍की फुल्‍की पॉर्न भी कहा जाए तो बुरा नहीं होगा। युवा पीढ़ी को फिल्‍म पसंद आ सकती है।

लेकिन, जो लोग प्‍यार को पूजा समझते हैं। जिनके लिए प्‍यार शब्‍द इश्‍क है। जो एकतरफे प्‍यार में भी सनम की खुशी के लिए जिन्‍दगी गुजार सकते हैं। जो प्‍यार में जिस्‍म को कम साजन के साथ को अधिक महत्‍व देते हैं। उनके लिए बेफिक्रे में कुछ नहीं।

वन नाइट स्‍टेंड वालों के लिए बेफिक्रे शानदार फिल्‍म हो सकती है। इससे युवा पीढ़ी को गलत दिशा मिलने की संभावनाएं अधिक हैं क्‍योंकि किसी को बहकाने के लिए संदर्भ दिए जाते हैं।

हमारी तरफ से इस फिल्‍म को पांच में से डेढ़ अंक मिलता है। हालांकि, यह हमारी निजी राय है, जो हर किसी पर लागू नहीं होती क्‍योंकि हर किसी का अपना अपना नजरिया होता है।