जब पिता के दो टूक जवाब ने बदली अभिनेता देव आनंद की राह

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मुम्‍बई। जिद्दी अभिनेता देव आनंद को बेहतरीन अभिनेताओं की श्रेणी में रखा जाता है। लेकिन, देव आनंद फिल्‍मी दुनिया कैरियर बनाने से पहले पढ़ाई पर ध्‍यान देना चाहते थे। लेकिन, जब अंग्रेजी साहित्‍य में स्‍नातक करने के बाद देव आनंद ने अपने पिता से आगे पढ़ने की इच्‍छा प्रकट की तो देव आनंद की इच्‍छा पर पिता का दो टूक जवाब कुल्‍हाडी की तरह पड़ा।

देव आनंद के पिता ने कमजोर आर्थिक स्‍थिति का हवाला देते हुए देव आनंद से साफ शब्‍दों में कह दिया यदि आगे पढ़ना है तो नौकरी करो, पैसे कमाओ और पढ़ो। इस जवाब ने देव आनंद को परेशान किया। लेकिन, साथ में एक नई डगर पर चलने का विचार भी यहां से ही जन्‍मा।

देव आनंद ने सोचा यदि नौकरी ही करनी है तो फिल्‍मी दुनिया में क्‍यों न किस्‍मत को अजमाकर देखा जाए। कुछ पैसों के साथ देव आनंद मुम्‍बई आ गए। रेलवे स्‍टेशन के पास एक होटल में तीन अन्‍य लोगों के साथ रूम साझा कर रहने लगे। मुम्‍बई पहुंचने के कुछ दिनों बाद ही देव आनंद को अहसास हुआ कि आजीविका के लिए नौकरी तो करनी ही पड़ेगी।

1943 में लाहौर से मुम्‍बई पहुंचे धर्मदेव पिशोरीमल आनंद ने मिलिट्री सेन्सर कार्यालय में लिपिक की नौकरी शुरू की। नौकरी से देव आनंद को 165 रुपये प्रति महीना मिलने लगा। ऐसा नहीं था कि देव आनंद सारा पैसा उड़ा देते थे बल्‍कि इसका काफी हिस्‍सा घर भेजते थे।

इसके बाद देव आनंद अपने बड़े भाई चेतन आनंद के पास पहुंचे, जो भारतीय जन नाट्य संघ से जुड़े हुए थे। देव आनंद को नाटकों में काम मिलना शुरू हो गया। 1945 में देव आनंद की हम एक हैं रिलीज हुई, लेकिन असली पहचान जिद्दी नामक फिल्‍म से मिली।