राज ठाकरे से तो बच गए, लेकिन ‘रईस’ के दुश्‍मन और बहुत हैं

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मुम्‍बई। भले ही शाह रुख खान और राज ठाकरे की मुलाकात के बाद रईस के रिलीज होने का रास्‍ता सपाट हो गया। लेकिन, शाह रुख खान की मुश्‍किल कम नहीं हुई क्‍योंकि इस फिल्‍म का दुष्‍प्रचार होना शुरू हो चुका है।

जैसे कि दिलवाले के समय शाह रुख खान के साथ हुआ था। फिल्‍म के रिलीज होने से पहले उसकी कहानी सोशल मीडिया पर चलती करके उसको बकवास फिल्‍म करार दे दिया था।

अब शाह रुख खान की रईस को लेकर वॉट्सएप पर एक संदेश तेजी के साथ फैल रहा है। इस संदेश में लिखा है, ”रईस ना देखें’ क्‍योंकि यह एक आतंकवादी अब्‍दुल लतीफ पर बनी है। लतीफ ने पाकिस्‍तान में पहुंचकर दाउद अब्राहम से भारत में आतंकवाद फैलाने का जिम्‍मा लिया।’

आगे लिखा है, ‘लतीफ ने 1993 बॉम्‍बे के बंब धमाकों के लिए फंडिंग की, जिसमें 293 लोगों की जान गई। गुजरात के लोगों ने भाजपा को बागडोर इसलिए सौंपी क्‍योंकि लतीफ और कांग्रेस के गठजोड़ से त्रासद थे।’

हालांकि, निर्माता निर्देशक रईस को कोरी कल्‍पना पर आधारित फिल्‍म करार देते हैं। बेशक इसकी पृष्‍ठभूमि गुजरात की सरजमीं है। गौरतलब है कि डियर जिंदगी पर शाह रुख खान के विरोधियों की नजर नहीं पड़ी क्‍योंकि नोटबंदी ने सोचबंदी भी कर रखी थी।

गौरतलब है कि अब्‍दुल लतीफ का परिवार अहमदाबाद में एक इज्‍जतदार परिवार की तरह रह रहा है। अब्‍दुल का बेटा भवन निर्माण के कार्य में व्‍यस्‍त है। अब्‍दुल लतीफ ने जेल में रहते हुए भी निकाय चुनावों में पांच सीटों पर जीत हासिल की थी। मुस्‍लिम इलाके में अब्‍दुल को मसीहा माना जाता था, हालांकि, गुजरात में उस पर 40 से ज्‍यादा हत्‍याओं का आरोप था। 1995 में लतीफ को गिरफ्तार किया गया और 1997 में एक एनकाउंटर में लतीफ को मार गिराया गया।