लेखन अभिनय से ज्यादा रोमांचक : पवन कल्याण

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चेन्नई | अभिनेता पवन कल्याण जिन्होंने शुक्रवार को रिलीज हुई तेलुगू फिल्म ‘सरदार गब्बर सिंह’ से दूसरी बार लेखन के क्षेत्र में हाथ आजमाया है, उनका कहना है कि उन्हें अभिनय से ज्यादा लेखन रोमांचक लगता है।

कल्याण ने आईएएनएस को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “मैं लेखकों से हमेशा से प्रभावित रहा हूं और सादे कागज पर भावनाएं उकेरने की उनकी काबिलियत को एक अद्भुत काम मानता हूं। मुझे सोचने, लिखने और कहानी कहने की पूरी प्रक्रिया बेहद रोमांचक लगती है।”

उन्होंने कभी भी अभिनेता बनना नहीं चाहा था, इसलिए उन्होंने अभिनय की कमी महसूस नहीं की।

‘कुशी’, ‘जलसा’ और ‘गब्बर सिंह’ जैसी सफल फिल्मों को अपने अभिनय से सजा चुके कल्याण ने कहा, “मैं एक निर्देशक बनना चाहता था, लेकिन मेरे भाई (चिरंजीवी) ने जोर दिया कि मैं अभिनय करूं, क्योंकि परिवार में सभी यह करते हैं। मैं जानता हूं कि वह सही दिशा में मेरा मार्गदर्शन करना चाहते थे और उन्होंने कभी भी मुझे अभिनेता बनने के लिए बाध्य नहीं किया, लेकिन मैंने उनकी सलाह को गंभीरता से लिया।”

कल्याण खुलेआम कहते हैं कि अभिनय उन्हें बेहद कठिन लगता है। उन्होंने कहा कि लेखन से उन्हें संतुष्टि मिलती है।

उन्होंने कहा, “मुझे शूटिंग के लिए तैयार होने, मेकअप करने और आकर्षक स्थलों पर नाचने में मजा नहीं आता। कई बार उम्मीदें और दबाव इतना ज्यादा होता है कि मुझे यह बेहद मुश्किल लगता है, क्योंकि मैं बतौर अभिनेता अपनी सीमाएं जानता हूं।”

Sardar Gabbar Singhक्या यही कारण है कि ‘सरदार गब्बर सिंह’ के सेट्स पर वह बेहद सक्रिय रहे?, इस सवाल पर उन्होंने कहा, “मैं रचनात्मक स्तर पर ज्यादा जुड़ा हुआ था। मैंने जब यह कहानी लिखी, तब मैने रतनपुर शहर की कल्पना फिल्म के एक अभिन्न हिस्से के तौर पर की। इसलिए अपनी कल्पना के अनुरूप सभी से काम करवाने के लिए मुझे ज्यादा सक्रिय होना पड़ा और जरूरत पड़ने पर सलाह देनी पड़ी।”

‘सरदार गब्बर सिंह’ बॉबी की दूसरी फिल्म है।

उनके साथ काम करने को लेकर कल्याण ने कहा, “मैं उन लोगों का सम्मान करता हूं जो प्रतिबद्ध होते हैं। मुझे जिसमें भी ये गुण नजर आते हैं, मैं उनके साथ जरूर काम करता हूं। बॉबी के मामले में मैंने उनकी पहली फिल्म नहीं देखी थी, लेकिन मैंने उनके बारे में सुना था और मैं उनसे मिलना चाहता था।”

उन्होंने कहा, “कई बार जब मैं किसी व्यक्ति की तरफ देखता हूं, तो मुझे यह तय करने में केवल एक मिनट लगता है कि मैं उसके साथ काम नहीं करूंगा। जब मैं बॉबी से मिला, मुझे पता चला कि यही वह व्यक्ति है।”

कल्याण का मानना है कि उन्हें किसी के बारे में राय बनाने का कोई अधिकार नहीं है।

उन्होंने कहा, “जब अभिनय में कोई पूर्व प्रशिक्षण न होने वाले मेरे जैसे लोग सफल हो सकते हैं, तो हम किसी के पहले के काम के आधार पर फैसला कैसे ले सकते हैं? जब कोई फिल्म असफल होती है, तब केवल निर्देशक को ही दोषी नहीं मानना चाहिए, क्योंकि कई बार हालात जो उनके समर्थन में होने चाहिए, वे ही सही नहीं होते।” (हरिचरन पुडिपेद्दी/आईएएनएस)