संजय दत्‍त ने जाहिर की अपनी चाहत

0
378

नई दिल्ली। पिछले महीने पुणे की यरवदा जेल से रिहा हुए अभिनेता संजय दत्त का कहना है कि वह ‘मुन्नाभाई’ या ‘खलनायक’ नहीं, बल्कि संजय दत्त ही कहलाना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें जेल जाने को लेकर किसी तरह का पछतावा नहीं है और उन्होंने कभी अपने पिता सुनील दत्त का सिर नहीं झुकने दिया।

संजय ने यहां शुक्रवार को इंडिया टुडे कॉनक्लेव 2016 में कहा, “मुझे कोई पछतावा नहीं है। मैं इसे (जेल की सजा) सकारात्मक तरीके से लेता हूं। मैं मुन्नाभाई या खलनायक बनना नहीं चाहता, मैं सोचता हूं कि लोग मुझे संजय दत्त के रूप में पसंद करें।”

अपने पिता के बारे में उन्होंने कहा, “मैंने अपने पिता का सिर कभी झुकने नहीं दिया। मैंने जो भी किया, वह उन्हें पता था। इसका आतंकवाद से कोई लेना-देना नहीं था। मरने से पहले उन्होंने मुझसे कहा था कि उन्हें हमेशा मुझ पर गर्व रहा। मैं इसे कभी नहीं भूल सकता। उस दिन उन्होंने मुझे गले भी लगाया था।”

Sanjay dutt Release from jail

वर्ष 1993 के मुंबई विस्फोटों के दौरान अवैध हथियार रखने के दोष में पांच साल कैद की सजा पूरी करने के बाद पिछले दिनों पुणे की यरवदा जेल से रिहा हुए संजय ने कहा कि इस घटना से उन्होंने बहुत कुछ सीखा और अब वह जेल सुधार से संबंधित कुछ काम करना चाहते हैं।

उन्होंने कहा, “मुझे (जेल जाने का) कोई पछतावा नहीं है, बल्कि इससे मैंने बहुत कुछ सीखा। मैंने देश के कानून को जाना। मैंने सीखा कि हमेशा दिल की नहीं, दिमाग की भी सुननी चाहिए।”

उन्होंने कहा, “मैं जेल सुधार से संबंधित काम करना चाहता हूं। साथ ही नशीले पदार्थो के चंगुल से छुटकारा और युवाओं के लिए काम करना चाहता हूं। जेल वास्तव में सिपाही चलाते हैं। जहां मैं था, वहां दो सिपाही थे, जिनके साथ मैं अक्सर उठता-बैठता था। मैंने उनकी मदद भी की।”

अपनी फिल्मी योजनाओं के बारे में उन्होंने कहा कि अब वह कुछ अच्छी फिल्में करना चाहते हैं।

उन्होंने कहा, “मैं कुछ अच्छी फिल्में करना चाहता हूं। कुछ अलग करना चाहता हूं.. फिल्म उद्योग की मौजूदा शैलियों को बदलने की कोशिश कर रहा हूं।”

अपनी आगामी फिल्मों के बारे में उन्होंने कहा, “मैं सिद्धार्थ आनंद के साथ फिल्म करने वाला हूं। दूसरा विधु विनोद चोपड़ा के साथ और इसके बाद ‘मुन्नाभाई’ (तीसरा भाग) करने वाला हूं, जो 2017 तक आएगी।” (आईएएनएस)